अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में भूपेन्द्र सिंह की रचनाएँ-

अंजुमन में-
जो दुश्मन हुआ
तेरी इस ख़ुशनुमाई
दुश्मन अगर अजीज हो
बेकार मत सुना
रूह के भीतर

  दुश्मन अगर अज़ीज़ हो
 
दुश्मन अगर अज़ीज़ हो तो वार क्या करें
गर जीतना है प्यार में हथियार क्या करें

हम कर चुके बयान कई बार दर्दे - दिल
अब ज़िक़्र एक बात का हर बार क्या करें

तक़सीम हो गए हैं यहाँ सब के ज़ेह्नो-दिल
कैसे गिराएँ बीच की दीवार, क्या करें

ऐ वक़्त जब हमारा कभी भी रहा न तू
फिर आज हम ये वक़्त की रफ़्तार क्या करें

ऐ "होश" ज़िंदगी ने है जब ख़ुद बहुत दिया
कुछ माँग कर यों ख़ुद को गुनहगार क्या करें 

१ सितंबर २०२३

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter