अनुभूति में
भूपेन्द्र सिंह
की रचनाएँ-
अंजुमन में-
जो दुश्मन हुआ
तेरी इस ख़ुशनुमाई
दुश्मन अगर अजीज हो
बेकार मत सुना
रूह के भीतर
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जो
दुश्मन हुआ
जो दुश्मन हुआ आदमी आदमी का
यही कुफ़्र सबसे बड़ा है सदी का
बता ज़िंदगी तुझ को कैसे जिएँ हम
हमें सीखना है चलन ज़िंदगी का
पड़ा ही नहीं वास्ता जिसका ग़म से
वो समझेगा मतलब कहाँ से खुशी का
किसी में ख़ुदी है, कहीं बेख़ुदी है
किसे फ़र्क़ समझाएँ नेकी-बदी का
मुसलसल बढ़ी हैं हमारी भी कमियाँ
करें ज़िक्र कैसे किसी की कमी का
वो जिसमें हो मक़सद वही ज़िंदगी है
नहीं फ़र्क़ कोई है छोटी - बड़ी का
चलो "होश" हम आज सब कुछ भुला दें
कि हम भी मज़ा कुछ तो लें बेख़ुदी का
१ सितंबर २०२३
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