अनुभूति में
विपिन पँवार निशान की रचनाएँ-
छंदमुक्त में-
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पक्षी
बचपन
मन
यादें
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यादें
आ जाती है जब कभी यादें
खो जाते हैं हम गहरे ख़यालों में
यादें, तड़पाती भी है,
यादें, रुलाती भी है
यादें, हँसाती भी है।
आ जाती है जब कभी यादें
यादें, नींद को हमसे दूर ले जाती हैं
यादें, दिल की गहराईयों को छू जाती हैं
यादें, बीते लम्हों की याद दिलाती हैं
आ जाती है जब कभी यादें।
यादें, बीती जिन्दगी की तस्वीर बनाती हैं
यादें, गुजरे कल पर विचार कराती हैं
यादें, आँखों में अश्क भर लाती हैं
यादें, लबों पर मुसकराहट लौटाती हैं
आ जाती है जब कभी यादें।
बचपन की यादें, जवानी की यादें
दोस्तों की यादें, दुश्मनों की यादें
देश की यादें, परदेश की यादें
सुख की यादें, दुःख की यादें
बस यादें हमें इन तक पहुँचाती हैं
आ जाती है जब कभी यादें। २४ फरवरी २००५ |