हम हों तुम हो
हम हों तुम हो और हों तनहाइयाँ
चाहे कितनी भी हों अपनी यहाँ रुसवाइयाँ
इश्क करना कोई जुर्म नहीं
ये तो है खुदा की ही परछाइयाँ
प्यार से हम तुम मिलेगें रोज़ यहाँ
रोज़ करेगें हम ये गुस्ताख़ियाँ
वक्त के हाथों हम न मजबूर होंगे कभी
हम करेगें कम हर दूरियाँ
इक बार तुम मुझे अपना कह दो
कम हो जाएगी मेरी हर परेशानियाँ
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