प्रकृति
की गोद
आओ ! हम और तुम भूल जाएँ
एक दूसरे का अतीत
वर्तमान की खिड़की से
झाँकना सीखें
यदि संभव हो मेरे मनप्रीत
मैं खिड़कियाँ खोलूँगा
तुम खिड़कियों से परदे हटाना
टुकड़े - टुकड़े रोशनी से
अँधेरे कमरे भर जाएँगे
उताल हवाएँ नाचेंगी
गाएँगी
गुनगुनायेंगी शब्दगीत
हम दोनों एक दूसरे की
बाँहों में बाँहें डालकर झूमेंगे
एक दुसरे के वक्ष
होंठो को चूमेंगे
प्रकृति हमें हँसना सिखा देगी।