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अनुभूति में संजय पाल शेफर्ड की रचनाएँ

छंदमुक्त में-
असीम यंत्रणाएँ
प्रकृति की गोद
स्वप्न जो जिंदा हैं
स्वप्निल प्रेम
सूखे हुए होंठ

 

असीम यंत्रणाएँ

जीवन छोटा है
यंत्रनाएँ असीम
मैं दुखों को
खोना नहीं
दर्द से
उबरना चाहता हूँ
सज्जनों !
महानुभावों !
मुझे सूली पर
मत लटकाओ
नहीं तो
मैं ईश् बन जाऊँगा
तुम तो जानते हो न
पवित्र घाव
इंसान को
ईश्वर बना देता है।

२ सितंबर २०१३

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