अनुभूति में संदीप रावत
की रचनाएँ-
नई रचनाओं में-
दो कैदी
पिताओं को कन्यादान करते
मैंने दूरबीनों से
यातना
सैलानियों के मौसम
हैंग टिल डेथ
छंदमुक्त में-
कविता
टूटन
पत्ते
मुझे अफ़सोस है
हवा और धुआँ |
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कविता
इक असाध्य रोगी का
हास है -मौन है -रुदन है
अनाथ बच्चो की
भूखी -ठिठुरती रात है
शाम के साथ
पाव भर आलू लेकर
लौटते
किसी मजदूर की थकान है कविता !
निराशाओं की धूप में
आस का इक मृदु झोंका है
पीड़ा है - टीस है - हूक है
आत्मा से उट्ठी
एक लम्बी पुकार है कविता ...!
कविता खुद भयानक रोग है
मगर
हर कला को जीना होता है
एक रोगी का जीवन !!
८ अप्रैल २०१३ |