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अनुभूति में राम संजीवन वर्मा की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
माँ का प्यार
यादें 
मज़दूर 
जेहाद
तो बुरा मान गए
नन्हीं परी

 

यादें

वो एक ठण्डी सी हवा आई
तेरी महकती खुशबु मेरे जिस्म में समाई

तुम अगर मिल जाते तो जंग जीत लेता मैं
तुम नही तो जंग हार बैठा मैं

मेरे सपने, तेरी यादे, तेरी बाते लिये बैठा हूँ मैं
इस शाम तन्हाई में उदास लेटा हूँ मैं

शाम सुबह चिपकी रहती इक परछाई
ऐसा लगता है कि तुम मेरे करीब आई

तुमसे मिलने का ना अब कोई बहाना है
तुमसे दूर होकर हमने ये जाना है

८ नवंबर २००१

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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