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अनुभूति में राम संजीवन वर्मा की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
माँ का प्यार
यादें 
मज़दूर 
जेहाद
तो बुरा मान गए
नन्हीं परी

 

मजदूर

नैना में बदरा है 
नैना पे बदरा है
बदरा में पानी है
पानी ही पानी है
पानी में ही तो रोने वालों की कहानी है

एक कुर्ता, एक धोती
धोती छोटी से भी छोटी
अनियमित, बढ़ी दाढ़ी
जेब में दिन भर की दिहाड़ी
चेहरे पर परत काली
चेहरे पर मजदूर की गाली

हाथ सर पर
सर घुटनों पर 
घुटने छाती से चिपके
दर्द सारा 
बहुत सारा 
ठण्ड बढती 
तन में आत्मा सुबके

८ नवंबर २००१

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