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अनुभूति में ऋतेश खरे की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
ज़िंदगी के इस सफ़र में
मिट्टी से मिलकर
पतझड़ की गुहार
मुश्किलों में
हाथ में हाथ

 

हाथ में हाथ

आप का साथ हो, हाथ में हाथ हो
मिले उनको भी शिक्षा तो कुछ बात हो
वो जो पिछड़े हुए हैं बहुत वक्त से
रास्ते रौशनी के हुए ज़ब्त से
उनकी दुनिया में अब चाँदनी रात हो
मिले उनको भी शिक्षा तो कुछ बात हो
ज़िंदगी क्या है, उनको बड़ी ग़रीबी है
वक्त पर इंसानियत ही क़रीबी है
बाँटिए जो ख़ज़ाने में जज़्बात हों
मिले उनको भी शिक्षा तो कुछ बात हो
कुछ बने वो तो सफल हो जाएगा श्रम
मित्रता का यों ही बढ़ता जाए जो क्रम
देश में फिर ना पिछड़ी कोई जात हो
मिले उनको भी शिक्षा तो कुछ बात हो

९ नवंबर २००६

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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