अनुभूति में
अरुणा राय की रचनाएँ-
कविताओं में-
अपना खुदा होना
एक खालीपन
क्यों है यह प्यार
गिरी भी तो केवल मैं
तूने वह कविता कहाँ लिखी
मेरे सपनों का राजकुमार
रचना
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रचना
जब कोई बात
मेरी समझ में आती है
पर जिसे समझाना
मुश्किल होता है
तब शब्दों को
उसके पारंपरिक अर्थों से अलग करते हुए
एक जुदा अंदाज में
सामने रखती हूं मैं
और देखती हूं कि शब्द
किस तरह सक्रिय हो रहे हैं
और मैं खुद को गौण कर देती हूँ
फिर फटी आंखों देखती हूं
कि क्या रच डाला है मैंने
और वह कैसे खड़ी है
रूबरू मेरे
मुझसे ही आंखें मिलाती
फिर मैं उसे छोड़ देती हूँ
समय की धुंध में खड़ी होने को
और
कल को उसे खड़ी पाती हूँ
१४ जुलाई २००८
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