अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में अरुणा राय की रचनाएँ-

कविताओं में-
अपना खुदा होना
एक खालीपन
क्यों है यह प्यार
गिरी भी तो केवल मैं
तूने वह कविता कहाँ लिखी
मेरे सपनों का राजकुमार
रचना

 

एक खालीपन

एक खालीपन है
जो परेशान करता है
रात दिन

यह
उसके होने की खुशी से रौशन
खालीपन नहीं है
जिसमें मैं हवा सी हल्‍की हो
भागती-दौड़ती
उसे भरती रह सकती हूँ

यह
उसके ना होने से पैदा
एक ठोस और अंधेरा खालीपन है
जो अपने भीतर
धँसने नहीं देता मुझे

इस खालीपन को
अपनी हँसी से
गुँजा नहीं सकती मैं

इसमें तो
मेरी रुलाई की भी
रसाई नहीं

यह
ना हँसने देता है
ना रोने
बस
एक अनंत उदासी में
गर्क होने को
छोड़ जाता है
तन्‍हा

१४ जुलाई २००८

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter