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अनुभूति में अरुणा राय की रचनाएँ-

कविताओं में-
अपना खुदा होना
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गिरी भी तो केवल मैं
तूने वह कविता कहाँ लिखी
मेरे सपनों का राजकुमार
रचना

 

गिरी भी तो केवल मै

चौराहे पर फिसलती हूं
उठती हूँ धड़फड़ाकर गर्द झाड़ती हूँ
कोई देख तो नहीं रहा
फिर घबराहट क्यों
या अभी उठी ही नहीं
या मेरा कुछ छूट गया उस जगह
धैर्य या सहजता या कि क्रम
यह तो बस मुझे पता है
गिरी भी तो केवल मैं ही थी
तो लौट जाना चाहिए
बैठकर बटोर लेना चाहिए
छूटा सब
लोग जान जाएँगे
लोगों को बतलाया जा सकता है पीछे भी
खुद को समझा सकूँगी
कि छूटा सो महत्वपूर्ण नहीं था

१४ जुलाई २००८

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