अनुभूति में
अभिजित पायें की
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छंदमुक्त में-
आत्मा की पुकार
आतंक
जिंदगी
जीने के बहाने
सरपट दौड़ता वक्त
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सरपट
दौड़ता वक्त
वक्त तो है कम
लेकिन करना है बहुत
जाना है बहुत दूर
कहना है बहुत कुछ
लेना है संकल्प वक्त का।
कोई तो जानता नहीं
क्या होंगे आनेवाले पल
तो सतर्क प्रहरी की तरह रहेंगे
गतिशील समय की ओर।
जीव श्रेष्ठ हुए है इंसान
और याद करना है
महत्ता के एलान।
मित्रों
गाना होगा सब को एक साथ
समन्वय के गान
खुला आसमान
दे वरदान
हम होंगे कामयाब
एक दिन।
बता रहा है
सरपट दौड़ता वक्त।
२४ नवंबर २००८ |