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अनुभूति में प्रो. विद्यानंदन राजीव की रचनाएँ-

गीतों में-
ऐसी कथा न रच
खूँख्वार हवाएँ
पंख कतरने में
बनवासी
ये फणी

संकलन में-
अमलतास- कर्णफूल पहने
 

 

ऐसी कथा न रच

अच्‍छे भले यहाँ हम हैं
कोई विष-बीज न बो
ऐसी कथा न रच
जिसका कोई सिर पैर न हो

शहर नहीं है बंधु
एक यह छोटी सी बस्‍ती
यहाँ जिन्‍दगी, भीतर-बाहर
भेद नहीं रखती,
लोग वसूलों का दामन
है, सदियों से थामे
कभी नहीं सोचा
आखिर में होना हो सो हो

यहाँ गरीबी भी बसती
उसका अपमान न कर
भद्रजनों का हाथ सदा
रहता उसके सिर पर
खेती है वरदान
कृषक मजदूर सभी पलते
श्रम का मंत्र याद रहता है
हर रहबासी को

१९ सितंबर २०११

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