पल्लू की कोर दाब दाँत के तले
पल्लू की कोर दाब दाँत के तले
कनखी ने किए बहुत वायदे भले।
कंगना की खनक
पड़ी हाथ हथकड़ी।
पाँवों में रिमझिम की बेडियाँ पड़ी।
सन्नाटे में बैरी बोल ये खले,
हर आहट पहरु बन गीत मन छले।
नाज़ों में पले छैल सलोने पिया,
यों न हो अधीर,
तनिक धीर धर पिया।
बँसवारी झुरमुट में साँझ दिन ढले,
आऊँगी मिलने में पिय दिया जले।
24 अक्तूबर 2007
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