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अनुभूति में सोम ठाकुर की रचनाएँ—

गीतों में-
खिड़की पर आँख लगी
मन जंगल के हुए
प्रेमा नदी
सूर्यमुखी फूल
स्वर की तरंगें
वेला संवत्सरा
हवाएँ संदली हैं

संकलन में-
मेरा भारत- तिरंगा
         राष्ट्र देवता
         वंदन मेरे देश
मातृभाखा के प्रति- राजभाषा वंदन

 

स्वर की तरंगें

गुथ गईं स्वर की तरंगे
धमनियों के गर्भ में
उभरी शिराओ में

झुनझुनाते स्नायु
खींचकर छूट गई हैं नसें
अब न वे खामोशियाँ
बढ़कर हृदय को कसें
जो मुझे दे दी विदाओं में

हो चली गुन गुनी कुछ और
मेरी रक्त धारा
फैलकर आपाद मस्तक
घूमता हैं तप्त पारा
राग -रंगा राज हंसों की कतारें
उड़ चली उजली दिशाओ में

२१ मई २०१२

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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