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अनुभूति में श्याम नारायण श्रीवास्तव श्याम की रचनाएँ— 

गीतों में-
क्या होगा
बेमौसम भी
रामरती
संवादों के सेतु
हालत बदले

संकलन में-
कचनार के दिन- कचनार देखो

  संवादों के सेतु

देख सके जब
हम न राह में मिले
बटोही की वीराने
लगे फेंकने, ठहरे
जल में, कंकडि़यों को
लहर उगाने

क्‍या करते मुश्किल
था निर्जन राहों
बीच अकेले चलना
बोल-बतकही
में हो जाता
सहज, पहाड़ों पर भी चढ़ना
यही सोच, बूढ़े होकर भी
काम लगे करने बचकाने।

जहर उठी
तो उसी लहर में
डूबे कभी, कभी उतराये
जब तक भीगे रहे
परस्‍पर, दुखड़े हम तक
पहुँच न पाएँ
बातें यही घरेलू
शामिल जिसमें
किस्‍से नये-पुराने।

आते-जाते लोग वहाँ पर
देख रहे थे हमको हँसकर,
खेल रहे हों
ज्‍यों दो बच्‍चे
नम रेती पर महल बनाकर ,
बैठे थे हम
दो छोरों पर
संवादों के सेतु बनाने।

४ अप्रैल २०११

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