अनुभूति में
श्याम नारायण
श्रीवास्तव श्याम की रचनाएँ—
गीतों में-
क्या होगा
बेमौसम भी
रामरती
संवादों के सेतु
हालत बदले
संकलन में-
कचनार के दिन-
कचनार देखो
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रामरती
थकी देह भी
खिल-खिल गहने
पहने रहती रामरती ।
धूल-पसीना
धो पोखर में,
कहासुनी
सब छोड़ डगर में,
धुली किरन सी
अपनी कुटिया
से आ मिलती रामरती ।
गीली माटी
सा कोमलमन,
पल में फागुन, पल में सावन,
बोल-बतासे
हमदर्दी के
सुन भूले सारा खारापन
छिछले पानी
में भी अक्सर
तिरने लगती रामरती ।
रातों दिन की
मेहनत खटना,
सरवर के पानी का घटना,
नेह छोड़
सब तजना लेकिन
पिय की बाँहों से क्या नटना।
बेमौसम भी
हरसिंगार सी
झरने लगी रामरती।
४ अप्रैल २०११
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