अनुभूति में
श्याम नारायण
श्रीवास्तव श्याम की रचनाएँ—
गीतों में-
क्या होगा
बेमौसम भी
रामरती
संवादों के सेतु
हालत बदले
संकलन में-
कचनार के दिन-
कचनार देखो
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हालत बदलें
सूरज निकले
कुहरा कम हो
तो बाहर निकलें।
जोड़-जोड़
एड़ी-चोटी तक
पड़ा हुआ जकड़ा,
जो देता हौसला
वही बैठा
सिकुड़ा-सिकुड़ा
जलें अलाव
बर्फ-कुठावों के पर्वत पिघले
आँच रक्त की
नाच रंग में
डूब बुझा बैठे,
गैरों के आयातित
बल बैठे ऐंठें-ऐंठें,
बिन घोटाले,
रात रंगीली
कैसे बाग फलें।
आते-आते
धूप द्वार तक
बचनी राई भर,
जनता के हिस्से
आयेगी हाथापाई भर,
बेहतर किसी तरह यह
घुनखाई हालत बदलें
४ अप्रैल २०११ |