अनुभूति में शीला पांडे
की रचनाएँ-
गीतों में-
नीम-निबौरी
पालों वाली नाव बनाएँ
माँ कभी मरने न पाती
रोप रहे पुलुईं से पौधा
स्वाधीन-इन्द्रियाँ |
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रोप रहें पुलुईं
से पौधा
रोप रहे पुलुईं से पौधा
दिखलाएँ, माटी का दोष
बौछारों से खेती सींचो
मिट्टी की टेस्टिंग करवाओ
औने-पौने करजा ले लो
सड़कों पर दौड़ें लगवाओ
बिना काम के काम करें ये
हलधर को-कम पड़ता कोष
बादल, सूखा, बाढ़, बाँध कर
मौसम का बीमा करवाएँ
देशी भूमि, विदेशी बीजों से
बीजो, तख्ती मढ़वाएँ
छलने-हरने बहुविधि निकले
चमड़ी-दमड़ी हर एक कोश
‘हाथों के श्रम’ का क्या होगा
पानी के उपकरण नहीं है
पैदावार-मूल्य न धरते
मन में अन्तः करण नहीं है
भाँति-भाँति भरमाएँ नाँधें
धर दाबें, भूखों का रोष
१ अगस्त २०१६
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