तेरी प्यास अमोल
बटोही, तेरी प्यास अमोल,
तेरी प्यास अमोल!
नदियों के तट पर तू अपने
प्यासे अधर न खोल,
बटोही, तेरी प्यास अमोल!
जो कुछ तुझे मिला वह सारा
नाखूनों पर ठहरा पारा,
मर्म समझ ले इस दुनिया का
सिर्फ़ वही जीता जो हारा।
सागर के घर से दो आँसू-
का मिलना क्या मोल।
जल की गोद रहा जीवन भर
जैसे पात हरे पुरइन के
प्यास निगोड़ी जादूगरनी
जल से बुझे न जाय अगिन से।
जल में आग आग में पानी
और न ज़्यादा घोल!
बटोही, तेरी प्यास अमोल,
तेरी प्यास अमोल!
१२ अक्तूबर २००९