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अनुभूति में शतदल की रचनाएँ— 

गीतों में-
कल अचानक
कौड़ी कौड़ी माया
तेरी प्यास अमोल
नैन मिले अनमोल
मौसम के फूल

 

 

  नैन मिले अनमोल

जोगन, नैन मिले अनमोल,
ओस कनों से कोमल सपने
पलकों-पलकों तौल!
जोगन, नैन मिले अनमोल!

इन सपनों की बात निराली,
दिन-दिन होली, रात दिवाली।

इनसे माँग नदी-झरनों के
मीठे-मीठे बोल!
जोगन, नैन मिले अनमोल!

सपनों का क्या ठौर-ठिकाना,
जाने कब आना, कब जाना।

नयन झरोखों से तू अपनी
दुनिया में रस घोल,
जोगन, नैन मिले अनमोल।

१२ अक्तूबर २००९

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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