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अनुभूति में शांति सुमन की रचनाएँ—

गीतों में—
एक प्यार सबकुछ
किसी ने देखा नहीं है
खुशी सुनहरे कल की
थोड़ी सी हंसी
धूप तितलियों वाले दिन
पानी बसंत पतझर
सच कहा तुमने

 

सच कहा तुमने

यह सदी रोने न देगी
सच कहा तुमने।

हँसी होगी शाप
पथरा जाएँगी आँखें
ओठ होंगे काठ
कटने लगेंगी शाखें
सच कभी होने न देगी
धूप के सपने।

बाँह में आकाश होगा
कटे होंगे पंख
मछलियाँ जलहीन
तट पर बिछे होंगे शंख
पास में बहने न देगी
नदी या झरने।

थके होंगे शब्द
ढोते अर्थ दुहरे
प्यास को दीखा करेंगे
जल सुनहरे
प्रिय कभी होने न देगी
खुशी के गहने।

९ सितंबर २००६

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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