अनुभूति में
शांति सुमन की रचनाएँ—
गीतों में—
एक प्यार सबकुछ
किसी ने देखा नहीं है
खुशी सुनहरे कल की
थोड़ी सी हंसी
धूप तितलियों वाले दिन
पानी बसंत पतझर
सच कहा तुमने |
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खुशी सुनहरे कल की
इतनी छोटी बदरंग धरा
विश्वास नहीं होता।
सहमी–सहमी सी चिड़िया
दाना चुगती है
डैनों को भी फैलाने से
वह डरती है
अपनापन का तो कोई
अहसास नहीं होता।
किस्से आतंकों के
इधर–उधर फैले हैं
जिसको भी देखो
सबके दामन मैले हैं
वह निर्बंध भरोसा तो
अब पास नहीं होता।
चोंच नहीं खुलती नीड़ों में
जबसे मौन जड़े
मगर पसीना पहन सभी के
सपने हुए खड़े
झूठे वादों का जंगल
तो काश! नहीं होता।
अच्छी लगने लगी अभी से
आशा नयी फसल की
खाली आँखों में सजती है
खुशी सुनहरे कल की
फूलों की खुशबू को फिर
बनवास नहीं होता।
९ सितंबर २००६
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