अनुभूति में
शांति सुमन की रचनाएँ—
गीतों में—
एक प्यार सबकुछ
किसी ने देखा नहीं है
खुशी सुनहरे कल की
थोड़ी सी हंसी
धूप तितलियों वाले दिन
पानी बसंत पतझर
सच कहा तुमने |
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एक प्यार सब-कुछ
मुझमें अपनापन बोता है
साँझ–सकारे यह मेरा घर
उगते ही सूरज के–
रोशनदान बाँटते ढेर उजाले
धूपों के परदे में
खिल–खिल उठते हैं
खिड़की के जाले
चिड़ियों का जैसे खोता है
झिन–झिन बजता है कोई स्वर
एक हँसी आँगन से उठती
और फैल जाती तारों पर
मन की सारी बात लिखी हो
जैसे उजली दीवारों पर
एक प्यार सबकुछ होता है
जिससे डरते हैं सारे डर
दरवाज़े पर साँकल माँ की
आशीषों से भरी उँगलियाँ
पिता कि जैसे बाम–फूटती
एक स्वप्न में सौ–सौ कलियाँ
जहाँ परायापन रोता है
लुक–छिप खुशी बाँटती मन भर
९ सितंबर २००६
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