अनुभूति में
शांति सुमन की रचनाएँ—
गीतों में—
एक प्यार सबकुछ
किसी ने देखा नहीं है
खुशी सुनहरे कल की
थोड़ी सी हंसी
धूप तितलियों वाले दिन
पानी बसंत पतझर
सच कहा तुमने |
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धूप तितलियों वाले दिन
एक अधूरा गीत
अंतरा लिए सुलगता है
बरगद की छाँहों में जब
उठती मृदंग की थापें
बीच गाँव के टोले में
रचती हल्दी की छापें
कोई मीठा परस हवा का
मन में जगता है
धूप तितलियों वाले दिन
कब बीत गए होते
पानी की सीढ़ियाँ नापते
रीत गए होते
पर उदास मन में अब भी
एक सूरज उगता है
दूर उड़ाने भरने वाली
चिड़ियों की आँखें
बान लगे हिरना की आँखें
हिरनी गुमसुम ताके
जो बीता दिन में देखा
एक सपना लगता है
९ सितंबर २००६
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