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अनुभूति में सावित्री परमार की रचनाएँ-

गीतों में-
कहाँ गाँव कब शहर
खुलकर हँसे
बिखर गए दिन
लौट आएँ दिन
सूरज है बीमार

  बिखर गए दिन

बिखर गए
दिन कहाँ
क्षणों को खँगोरते

कहाँ गये विगत स्वर
तिनका था सागर भी
जितने रंग भीतर थे
उतने थे बाहर भी

छूट गए
गीत कहाँ
अक्षर बटोरते

केंचुल से छूट गये
अनाहूत राहों में
दूर तलक बबूल उगे
रिश्तों की बाहों में

सांध्य स्वप्न
छूटे कहाँ
प्रतीक्षा अंजोरते

१९ मई २०१४

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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