अनुभूति में
सत्यनारायण की रचनाएँ—
नए गीतों में-
अजब सभा है
मैंने हलो कहा
रौशनी के लिये
है धुआँ
तो
गीतों में-
बच्चे जैसे कथा कहानी
बच्चे अक्सर चुप रहते हैं
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बच्चे जैसे कथा कहानी
बच्चे
जैसे कथा कहानी
परी देस के स्वप्न सरीखे
दीखे खुल–खिल हँसते दीखे
ऊपर झिलमिल चाँद सितारे
नीचे कल कल
बहता पानी
इनकी तुतली तुतली भाषा
मेवा मिसरी दूध बताशा
काँच रबड़ के खेल खिलौने
गुड्डे गुड़िया
राजा रानी
छंद गीत के बहर ग़ज़ल की
आहट आनेवाले कल की
सोच समझ से भी बढ़कर है
इन मासूमों
की नादानी
२४ दिसंबर २००५ |