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अनुभूति में रणवीर भदौरिया की रचनाएँ-

गीतों में-
अंकुर प्रकाश के
इतनी भर जिंदगी
कुतर रहीं गिलहरियाँ
गीत एक टूटा है
ठहरी हुई ये जिंदगी

बैठे धुएँ की छाँव में

 

ठहरी हुई ये जिंदगी

कसे बँधे तुक तान में
बिखरी हुई ये जिंदगी

जिससे भी चाहीं राहतें
घाव को सहला गया
कुछ घना सा और कुहरा
व्योम में बिखरा गया

इस घाट पर, उस घाट पर
ठहरी हुई ये जिंदगी

ताल में वेताल की
नंगी मछलियाँ नाचतीं
प्यार की पाती को भी
कर्कश लहरियाँ बाँचतीं

हिलती नहीं हैं परिधियाँ
देहरी हुई ये जिंदगी

२४ नवंबर २०१४

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