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अंकुर
प्रकाश के
प्रकाश को लील लिया झाड़ फानूसों ने
मुडेरों पर माटी का दियना उदास है
दमघोंटू धुआँ धुंध
फैल गई घर अँगना
सहम कर छिप गया
मावस का चंद्रमा
टिम टिम लट्टू हैं लोग बजरबट्टू हैं
मेलों में, ठेलों में, बेमन का वास है
अंधकार कूद रहा
अनय के इशारों पर
माया की छाया है रेंगते विचारों पर
फूटेंगे निश्चय ही अंकुर प्रकाश के
धैर्य के धरातल को पूर्ण विश्वास है
२४ नवंबर २०१४
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