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अनुभूति में रणवीर भदौरिया की रचनाएँ-

गीतों में-
अंकुर प्रकाश के
इतनी भर जिंदगी
कुतर रहीं गिलहरियाँ
गीत एक टूटा है
ठहरी हुई ये जिंदगी

बैठे धुएँ की छाँव में

 

बैठे धुएँ की छाँव में!

प्यार का दीपक जलाने आ गये
हम अँधेरे गाँव में
तैरती झंझाओं में

एक अरसा हो गया
कोहराम में ठहरे हुए
घाव जो लेकर चले
और भी गहरे हुए,
दूर छूटी धूप, बैठे धुएँ की छाँव में।

अब नहीं हँसते
तालाबों में कमल
गठरियों भर प्यास
नहीं अंजुरी में जल
सर्पिणी लहरें, बैठे छेद वाली नाव में।

२४ नवंबर २०१४

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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