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अनुभूति में रमेश रंजक की रचनाएँ— 

गीतों में-
अब की यह बरस
ईमान की चिनगी
गगन भर प्रण
गीत-विहग उतरा
चुलबुली किरन
तीलियों का पुल
दिन अकेले के

संकलन में-
कचनार के दिन- वेणी कचनार की
वर्षा मंगल- बादल घिर आए

 

 

 

गगन भर प्रण

नाम भर अनुप्रास
जीवन भर विरोधाभास
अधलिखी लम्बी कहानी-सी
अपाहिज प्यास
मेरे पास ।

कर गई अनुबन्ध पर
हस्ताक्षर-सी
एक ख़ामोशी विजन वन की
झूल कर कुछ लहरियों पर
लौट आई
गंधहीना आरती मन की
बँध गया है
द्वार से ऋतुराज का संन्यास
मेरे पास ।

एक ठहरी बूँद पर से
तैरने की
हो गई आदी निगोड़ी शाम
धूप की शहतीर में अणु-से
बिछलते
धमनियों में स्नेह के उपनाम
गगन भर प्रण—
संधियों के परकटे विश्वास
मेरे पास ।

३० जनवरी २०१२

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