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अनुभूति में रमेश रंजक की रचनाएँ— 

गीतों में-
अब की यह बरस
ईमान की चिनगी
गगन भर प्रण
गीत-विहग उतरा
चुलबुली किरन
तीलियों का पुल
दिन अकेले के

संकलन में-
कचनार के दिन- वेणी कचनार की
वर्षा मंगल- बादल घिर आए

 

 

 

 

ईमान की चिनगी

हाय रे ! ईमान की चिनगी !
जोहती है बाट सारी उम्र
उजले एक दिन की

एक दिन यह यों नहीं आता
कि जैसे आम आते
टूट जाते हैं न जाने
किस तरह कितने अहाते

फूस के पाँवों तले
चिकनी छतें दिखतीं मलिन-सी

चटक मैले घाघरे
घुटनों उठी धोती किसानी
कामगर चिक्कट कमीज़ों का
चिपकता ख़ून-पानी

उफन कर तस्वीर सारी
बदल देता है पुलिन की 

३० जनवरी २०१२

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