अनुभूति में
रमेश गौतम की रचनाएँ—
नये गीतों में-
एक नदी
गीत जल संवेदना के
पाँखुरी नोची गई
मत उदास हो
मैं अकेला ही चला हूँ
शुभ महूरत
गीतों में-
मान जा मन
जादू टोने
शब्द
जो हमने बुने
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शुभ महूरत
शुभ महूरत में
करो तो
प्यास का जल से विवाह।
ताल, पोखर, कूप का
अभिषेक फिर जल से करो
प्यास की क्वाँरी हथेली
छाप हल्दी की धरो
माँग सिन्दूरी भरे
जलधार का
अवरिल प्रवाह।
पनघटों पर हरित वसना
भोर मंगल गीत गाए
जन्म-जन्मों प्यास-पानी
का युगल रिश्ता निभाए
अब न अधरों पर
रहे बीते दिनों
की शेष आह
इस प्रणय के कथाक्रम में
मुग्ध हो नीहारिका
जल सुगढ़ नायक बने तो
प्यास हो जलनायिका
ढूँढ पाए न कहीं
गहराइयों की
कोई थाह
६ अप्रैल २०१५
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