जादू टोने
जादू टोने
जंतरमंतर की नगरी में
हम पता पूछते
घूम रहे अपने घर का
तोता मैना बनकर पिंजरों
में बंद हुए
जब भी महलों
के दरवाज़ों से हाथ छुए
अपने भविष्य की
गिनी चुनी रेखाओं का
मुँह खुला मिला
सब तरफ़ एक ही अजगर का
दंगों वाली तक़दीर हमारे
हिस्सों में
काटें कर्फ्यू के दिन
नफ़रत के किस्सों में
सीधे-साधी गलियों तक के
तेवर बदले
जब शुरू हुआ फिर
खेल यहाँ बाज़ीगर का
जब राजनर्तकी नाचेंगी
गलियारों में
कुछ आकर्षक मुद्राएँ
लेकर नारों में
सम्मोहन के मंत्रों-संकेतों में
खोकर
हम भूल जाएँगे
घाव, नुकीले पत्थर का।
३० नवंबर २००९