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अनुभूति में रमाकांत की रचनाएँ-

गीतों में-
गाने दो
तेरी बातें कब होंगी
ये दूकाने हैं
शहर
सुबह सुबह अखबार

  सुबह सुबह अखबार

सुबह सुबह अखबार
कहाँ से खबरें लाता है
हैरानी के
लाक्षागृह में खूब रुलाता है

सी एम का आवास
पास में साहब छलनी है
पहरा तो गहरा है
गहरे में दीवार बनी है

लोकतंत्र की जेल
जेल में मन घबराता है

दो बच्चों की माँ
जाने क्यों प्यार नहीं पायी
छोड़ मोह छौनों का
अपने यार संग धायी

उसकी प्यास बुझे
वह दिन भी आता जाता है

दो धुर पूरब पश्चिम कैसे
मिलने आते हैं
फास्ट फूड का चलन
बदन से कपड़े जाते हैं

सारा समय
समय की खातिर बदला जाता है

१२ दिसंबर २०११

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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