अनुभूति में
डॉ राधेश्याम शुक्ल
की रचनाएँ-
नए गीतों में-
अम्मा धरें रोज सगुनौटी
आँगन की
तुलसी
गँवई साँझ
जाने किस घाट लगे
पिता गाँव में
पुरवाई
गीतों में-
कुछ कहीं हो जाए
मेरा शहर
संकलन में-
श्वेतवर्ण कोमल बादल
दोहों में-
रेत नहाई नदी
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जाने किस घाट लगे
जाने किस
घाट लगे
नाव यह पुरान
खेवट हैं
आपस में तालमेल खो चुके
कबसे ये नई नई लहरों के हो चुके
सागर बेचैन
नई आँधी है आनी
प्यास की
मछलियाँ हैं, पानी के कहकहे
उलटी धाराओं को अंतरीप सह रहे
डूबती दिशाओं में
धुंध की कहानी
पछुवा की
बरजोरी, करती है बतकही
गैरों के डाँड और पतवारें हैं सही
शायद पड़ जाएँ बड़ी
कीमतें चुकानी
१८ अक्तूबर २०१० |