अनुभूति में
प्रमोद कुमार सुमन की रचनाएँ-
गीतों में-
अर्थ-श्रम
दुर्दशा
पड़ोसी
प्रेरणा
धूप की स्वर्णिम किरण |
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प्रेरणा
सीप में मोती मिलेंगे
और सागर में लहर
प्राण दे करके भी सम्भव
हो तो एक प्रयास कर।
मुट्ठियों में रेत आ करके
फिसल जाए तो क्या
और घटाओं की अगर
नीयत बदल जाए तो क्या
गति हवाओं की बदलने
के लिए संघर्ष कर।
धूप में चलना है तो फिर
ताप सहना सीख ले
वेग में धारा के संग-संग
साथ बहना सीख ले
भाग्य का रोना न रो
स्थिति स्वयं अनुकूल कर।
यात्रा हो जब कठिन तो
पथ बदलना सीख ले
मंजिल अपनी दूर हो तो
तेज चलना सीख ले
अपनी फ़ितरत से खुद अपनी
मुश्किलें आसान कर।
नभ से पड़ती हों फुहारें
सिर पर साया कर ले तू
वेग हो तूफान का तो
ओट कुछ भी धर ले तू
जब प्रकृति प्रतिकूल हो
कुछ देर को तू जा ठहर।
भाग्य जब तक साथ दे
कर ले तू जो कर सके
ग्रह नक्षत्रों की दशा से
कोई भी न उबर सके
फिर भी जीवन में 'सुमन'
हर प्रश्न अंगीकार कर।
१ जून २०१६ |