अनुभूति में
पद्मा मिश्रा की रचनाएँ-
गीतों में-
गीत नया
नया सन्देश लेकर
पुरवा लहराई है
तुम छू लो कंचन हो जाऊँ
मन फागुन फागुन हो जाए |
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पुरवा
लहराई है
झूम उठी धरती की मोहक अँगडाई
हैं
मांदर के ताल पर
पुरवा लहराई हैं
गुड की मिठास लिये रिश्तों को सजने दें
सखी आज मौसम को जी भर सँवरने दें
नदिया के तट किसने
बाँसुरी बजाई है
हरियाली खेतों की, धानी चूनर मन की
भीगे से मौसम में साजन के आवन की
थिरक रहे नूपुर ज्यों
गोरी शरमाई हैं
टुसू का परब आज नाचे मन का मयूर
मतवारे नैनों में प्रीत का नशा है पूर
सूरज की नई किरऩ
लालिमा-सी छाई है
बहक रही मादकता, जाग रही चंचलता
घुंघरु के बोल बजे, बिहु के गीत सजे
घर आँगन वन उपवन
जागी तरुणाई हैं
१ अगस्त २०२३ |