बंधु! लिखो
छंद
बाँवरी दिशाओं के नाम
बंधु! लिखो छंद
देखो! रह जाय नहीं
बिना किए हस्ताक्षर
ऋतुओं के साथ हुआ--
अनुपम अनुबंध
बंधु! लिखो छंद
पिछली सब बातें
रह जातीं
इतिहास बनी
आकाशी अतियाँ सब
दर्ज करो दंद-फंद
बंधु! लिखो छंद
गोपन की
लय विहीन भाषा
क्यों लिखते हो
निष्प्रभाव ही न कहीं
पड़ा रहे सब प्रबंध
बंधु! लिखो छंद
१ अगस्त २०२२
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