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अनुभूति में नारायणलाल परमार की रचनाएँ-

गीतों में-
घर कहाँ है अब हमारा
तन्वंगी यह धार
दिन पके हुए
फूलदान भी धूल सना है

संकलन में-
तुम्हें नमन- जन्मदिवस बापू का आया
वर्षा मंगल- पावस गीत

 

दिन पके हुए

पपीते की तरह हैं दिन पके हुए

पहले की तरह नहीं
धूप नाचती,
मैले कपड़े-लत्ते
हवा काँचती,
नज़र नहीं आते भौंरे थके हुए

अंबिया ने शुरू किया
अभी झाँकना,
पत्तों को है पसन्द
गप्प हाँकना,
ताल-तलैया पुरइन से ढँके हुए

आँखों में अभी कहाँ
चढ़ी खुमारी,
मेड़ों पे यात्राएँ
फिर भी जारी,
अधरों पर गीत, गंध में छके हुए

१४ मई २०१२

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