अनुभूति में
नंद चतुर्वेदी की रचनाएँ
गीतों में-
अभी कुछ बोल
कौन बिरछ की छाया
झूठ जब इतिहास
संकलन में
गाँव में अलाव-
फटे
कंबल के नीचे |
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कौन बिरछ की छाया
कहत कबीर
सुनो हो साधो
वाणी एक अंगार उचारे
दूजी लिये हाथ में लोठा
एक कहे यह असली चेहरा
कहे दूसरा इसे मुखौटा
कौन बिरछ की छाया बैठे
रहा सोच
बनी माधौ
इसे बुलाया उसे बुलाया
पद, सिंहासन उन्हें बिठाया
आतम ज्ञान कबाड़ा कीन्हा
दो कौड़ी के मोल बिकाया
प्यासे मिरग रेत में भागे
क्या पिछला क्या
नीर अगाधो
छोटे ताल तलैया डूबे
बोले अगम निगम की वाणी
फिर फिर वहीं लौट कर आवें
जैसे बैल तेल की धाणी
रात अंधेरी खिड़की कूदैं
दिन में राग
अराधौ
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