अनुभूति में
नंद चतुर्वेदी की रचनाएँ
गीतों में-
अभी कुछ बोल
कौन बिरछ की छाया
झूठ जब इतिहास
संकलन में
गाँव में अलाव-
फटे
कंबल के नीचे |
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झूठ जब इतिहास
एक टूटा दिन
हमारे पास
इस अटैची में भरा सामान
कुछ नहीं कपड़े पुराने म्लान
चिठि्ठयाँ जिनको पढ़ा सौ बार
है वही दुनिया
वही सब त्रास
एक दो दस या पचासों साल
पेड़ पर लटकी पुरानी डाल
रोशनी वाले शहर के बीच
कौन गायब हो गया
रख लाश
है यहाँ चारों तरफ़ दीवार
हैं अंधेरे अक्षरों के द्वार
इन मदरसों में पढ़ेगा कौन
बोलता हो
झूठ जब इतिहास |