अनुभूति में
नंद चतुर्वेदी की रचनाएँ
गीतों में-
अभी कुछ बोल
कौन बिरछ की छाया
झूठ जब इतिहास
संकलन में
गाँव में अलाव-
फटे
कंबल के नीचे |
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अभी कुछ बोल
बोलना हो तो
अभी कुछ बोल
फिर नहीं आ पाए यह संजोग
या बचें बहरे नपुंसक लोग
इस तरफ़ या
उस तरफ़ मत देख
खोल खिड़की, द्वार
कुछ तो खोल
हर इबारत में लिखा है क्लेश
हर इबारत में छिपा विद्वेष
इन बज़ारों में
लगा है देख
सिर्फ़ कुछ
रंगीनियों का मोल
यह धुआँ, निर्लिप्तता पाखंड
जल रहे चारों तरफ़ भूखंड
भूख के मारे हुए हैं लोग
देख कुछ इतिहास
कुछ भूगोल
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