अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में नंद चतुर्वेदी की रचनाएँ

गीतों में-
अभी कुछ बोल
कौन बिरछ की छाया
झूठ जब इतिहास

संकलन में
गाँव में अलाव- फटे कंबल के नीचे

  अभी कुछ बोल

बोलना हो तो
अभी कुछ बोल

फिर नहीं आ पाए यह संजोग
या बचें बहरे  नपुंसक लोग
इस तरफ़ या
उस तरफ़ मत देख
खोल खिड़की, द्वार
कुछ तो खोल

हर इबारत में लिखा है क्लेश
हर इबारत में छिपा विद्वेष
इन बज़ारों में
लगा है देख
सिर्फ़ कुछ
रंगीनियों का मोल

यह धुआँ, निर्लिप्तता पाखंड
जल रहे चारों तरफ़ भूखंड
भूख के मारे हुए हैं लोग
देख कुछ इतिहास
कुछ भूगोल

 

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter