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अनुभूति में डॉ. मनोहर अभय की रचनाएँ-

दोहों में-
शरद के स्वागत में

गीतों में-
अलगाव के आख्यान
आश्वासनों के मंत्र
क्वारी गली
धूप के बिस्तर
सप्तवर्णी मेघ

 

शरद के स्वागत में

पकड़ कलाई मेघ की, वरखा लौटी देश
शरद सुखाने में लगी, दूधों धोए केश

गरमी उड़ी कपूर सी, हुई गुलाबी साँज
रजत धूल से चन्द्रिका, रही धरा को माँज

मंथर गति पुरवाइयाँ, गगन हुआ शालीन
शरद बिछाने में लगी, धुले धवल कालीन

तड़प बिजलियों की छुपी, कहीं गगन की गोद
प्रात समीरन बज रहा, मोहक, मोद-सरोद

कलियाँ खिली सफ़ेद हैं, खिले कमल दल श्वेत
चटख रहे अब धूप में, पके धान के खेत

हरित धरा पर चाँदनी, बैठी पाँव पसार
मेहँदी लगी हथेलियाँ, दुल्हन रही निहार

खंजन अंजन लगा रहे, देख शरद की रैन
चातक सोया नींद भर है चकोर बेचैन

नील सरोवर चाँदनी, करने गई नहान
उठा अमावस ले गई, धुले हुए परिधान  

१ अक्तूबर २०१६

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