धूप के बिस्तर
सारस्वती वे प्रार्थनाएँ
वेदपाठी सभ्यताएँ
ऐश्वर्य के सूरज दमकते
थे सुबह के सारथी
धूप के बिस्तर हुए
सौहार्द के स्तूप ऊँचे
गगन चुम्बी यश ध्वजाएँ
गर्व गर्भित
शौर्य की उज्जवल कथाएँ
गुफाओं में छुपे खंडहर हुए
तुमको नहीं शिकवा गिला
आदमी क्यों लिजलिजा
सूर्यवंशी कवचकुंडल
बेच कर डॉलर किए
देवियों के जागरण
पूजे गए क्वारे चरण
नैवेद्य रोली अखत चन्दन
यातना के स्वर हुए
वर्जनाएँ सर पड़ीं
प्रीति की बारह खडी
खाप के आदर्श बहरे
जहर के नश्तर हुए
९ फरवरी
२०१५
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