क्वार का है सुखद आना
छिटक निकली धूप फिर भी
मेह पल भर बरस जाना
ब्याह स्यारों के हुए हैं
क्वार का है सुखद आना
आँजुरी में भर के खुशबू
यह हवा बिखरा रही है
और गुल-मेहंदी रँगों की
छवि अलग दिखला रही है
पक्षियों का रागिनी के
नए सुर में डूब जाना
द्वार दीवारों के रंग
बारिश ने बदरंग कर दिए हैं
जलभरावों में नगर ने
आपदा के पल जिए हैं
कुछ हुए आश्वस्त चेहरों
का तनिक सा मुस्कुराना
क्वाँरी बिटिया की सगाई
क्वार में ही हो गई है
नए जीवन के सपन
पलकों में लेकर सो गई है
फिर मनेंगे मदन-उत्सव
कुछ दिनों के बाद गवना
१ जून २०१९ |