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अनुभूति में महेंद्र भटनागर की रचनाएँ

छंदमुक्त में-
अभिलषित
आसक्ति
गौरैया
पाताल पानी की उपत्यका से

गीतों में-
उत्सर्
एक दिन
जीने के लिए
दीपक
धन्यवाद
बस तुम्हारी याद
भीगी भीगी भारी रात

शुभैषी
सहसा
यह न समझो

कविताओं में-
आस्था
ओ भवितव्य के अश्वों!

  यह न समझो

यह न समझो कूल मुझको मिल गया
आज भी जीवन-सरित मझधार में हूँ!

प्यार मुझको धार से
धार के हर वार से,
प्यार है बजते हुए
हर लहर के तार से,

यह न समझो घर सुरक्षित मिल गया
आज भी उघरे हुए संसार में हूँ!

प्यार भूले गान से,
प्यार हत अरमान से,
ज़िन्दगी में हर क़दम
हर नए तूफ़ान से,

यह न समझो इंद्र-उपवन मिल गया
आज भी वीरान में, पतझार में हूँ!
यह न समझो कूल मुझको मिल गया
आज भी जीवन-सरित मँझधार में हूँ!

खोजता हूँ नव-किरन
रुपहला जगमग गगन,
चाहता हूँ देखना
एक प्यारा-सा सपन,

यह न समझो चाँद मुझको मिल गया
आज भी चारों तरफ़ अँधियार में हूँ!

२३ फरवरी २००९

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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