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अनुभूति में कृष्णानंद कृष्ण की रचनाएँ—

नया गीत—
जाने किसकी नज़र लगी

गीतों में—
गुनगुनाना उनका
चाँद उतर आया है
पूत गया परदेस
बदली कहाँ गाँव की माटी
सर्दियों के दिन
सपनों में जीना
हमारे गाँव में

 

सर्दियों के दिन

ऊन के
गोले सरीखे गुनगुने
ये सर्दियों के दिन।
उँगलियाँ
फंदे बनाती
गीत रचती
नीलवर्णी सीपियाँ
यों प्रीत रचती
और यह
मन का अकेलापन
रह-रह चुभोए पिन।

बाँटता मौसम
निमंत्रण नेह का
हो गए तन-मन कदम
कौन देहरी धर गया
दूब, अक्षत,
प्रेम का चंदन
हो गए
पाहुन सरीखे वो पराये
रेशमी से दिन

1 दिसंबर 2006

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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